Wednesday, July 8, 2009

मुआ सूचना का अिध्कार

मंत्रियों के मुरझाए चेहरे सहसा नियॉन बल्ब की मानिंद चमक उठे। महारानी की जय जयकार से राजमहल की दीवारें भी हिलने लगी थीं। महारानी ने उड़ती हुई नजर से चाटुकारिता में निपुण मंत्रियों की तरफ देखा। महारानी के राज सिंहासन पर विराजते ही मंत्रियों ने भी श्रेष्ठता के अनुसार जमीन पर आसन ग्रहण किया। उत्तम प्रदेश में महारानी के बारे में यह प्रस( था कि दरबार में वे अपने बराबर किसी कुर्सी का होना पसंद नहीं करती। शायद विचार यह हो कि मंत्रा अपनी नजरों में इतने गिरे हों कि सपने में भी बगावत के बारे में न सोच सकें। ख्र इन दिनों एक और भय महारानी की रातों की नींद हराम किए था। हुआ यूं कि जनता की मांग पर उन्होंने एक आम सभा में सूचना का अिध्कार लागू करने की घोषणा कर दी थी। बात यहीं तक होता तो गनीमत थी। मुई जनता तो मानो विद्रोह पर उतर आई थी। अब उन्हें महारानी की विलासिता और विदेश दौरे भी खटकने लगे थे। पिफर भी महारानी बर्दाश्त कर लेती, पर एक अनोखी घटना ने उन्हें आपातकालीन दरबार लगाने को मजबूर कर दिया था। किसी सिरपफरे ने उनके विदेशी नस्ल के कुत्तों पर होने वाले खर्च की जानकारी मांग ली थी। अब मुई जनता को क्या मालूम कि विदेशी कुत्ते उनकी तरह गली कूचों में नहीं पला करते। इध्र दिल्ली दरबार में भी महारानी की बड़ी अम्मा को नजले जुकाम होने लगे थे। मुददा वही निगोड़ा सूचना का अिध्कार। तभी महारानी के मुंहलगे चमचे ने उनके कान में जाकर कोई मंत्रा पफुसपफुसाया। महारानी का चेहरा खुशी से चमक उठा। महारानी के चेहरे पर छायी लाली को देखकर ही मंत्रिायों के चेहरे पर भी चमक वाली घटना घटित हुई थी।
अब बात आगे की। मंत्रिापरिषद में खलबली मची थी कि आखिर उसने कौन सा ऐसा मंत्रा पफूंक दिया कि महारानी की बांछें खिल उठी। तभी महारानी ने भरी सभा में एलान किया कि महारानी, उनके विश्वासपात्रा मंत्राी, गुप्तचर विभाग और सेना से जुडी जानकारी जनता को नहीं दी जा सकती। सांप भी मर गया और लाठी भी सलामत की सलामत। पफुरसत के क्षणों में जनता को एक झुनझुना बजाने के लिए थमा दिया गया था। अब बजाते रहो ़जी भर के । आखिर लड़ने से अिध्कार थोड़े ही मिलते हैं। ये तो महारानी की कृपा है कि अभी तक मुफ्रत में ली जा रही हवा पर उन्होंने पहरे नहीं बिठाए। नहीं तो क्या मजाल कि इध्र की हवा उध्र हो जाए। अब भरते रहो टैक्स पर टैक्स। चापलूस मंत्रिायों ने आंखें बंद कर और गर्दन उपर उठाकर गर्दभ राग में रेंकना शुरू किया। तभी एक दूत ने आकर खबर दी कि जनता ने बगावत के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। अब महारानी की ख्ौर नहीं। एक बार पफर वही चिंता की लकीरें महारानी के चेहरे पर घिर आई थी और मंत्राी चिंतामग्न हो कोई और उपाय तलाशने में लग गए।

2 comments:

  1. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  2. Aap ki rachana bahut achchhi lagi...Keep it up....

    Regards..
    DevPalmistry : Lines Tell the story of ur life

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